रोहतक. दलबीर सिंह सुहाग आर्मी चीफ का पदभार संभालने के बाद पहली बार अपने पैतृक गांव बिसान पहुंचे। घर पहुंचते ही उन्होंने मां के हाथ का बना चूरमा खाया। उनकी मां ईशरी देवी ने बताया कि दलबीर सिंह को बचपन से ही दूध-दही और चूरमा खाने का बेहद शौक था।
कैसा है दलवीर सिंह का गांव
तीन हजार की आबादी वाले बिसान गांव के करीब 130 लोग भारतीय सेना में हैं, जबकि गांव में 250 रिटायर सैनिक भी हैं। यह छोटा-सा गांव मिसाल की तरह है। गांव में हर घर का एक सदस्य फौज में रहकर देश की सेवा कर रहा है।
आर्मी चीफ के पिता ने क्या कहा?
- आर्मी चीफ के पिता सूबेदार रामफल ने कहा कि उन्हें इस लम्हे का इंतजार था कि बेटा आर्मी चीफ बनकर आए। बहुत खुश हूं।
- गांव के बुजुर्गों के साथ यादें ताजा करते हुए आर्मी चीफ ने कहा, उनकी ड्यूटी हमेशा जंगलों में रहने वाली ही रही है।
- उन्होंने कहा, कई-कई माह तक वह अपने परिवार के बीच नहीं आते थे।
जब बेटी ने नहीं पहचाना
आर्मी चीफ ने बताया कि एक बार तो ऐसा भी हुआ था जब वह नागालैंड में एक बार ड्यूटी में ज्यादा व्यस्त होने के चलते एक साल बाद जब वे घर पहुंचे तो वहां उनकी छोटी बेटी ने ही उन्हें नहीं पहचाना। बाद में जब पत्नी ने बताया तब बेटी को पिता की समझ आई।